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Bahuchar Mata Temple: जानिए किन्नरों की कुलदेवी के मंदिर की क्या है मान्यता, जहां आज Amit Shah दर्शन करने जाएंगे

किन्नर समाज के लोग बुहचरा माता को अर्धनारीश्वर के रूप में पूजते हैं. मान्यता है कि अगर कोई किन्नर बहुचर माता की पूजा करता है तो वह अगले जन्म में पूरे शरीर के साथ जन्म लेता है.

Published: August 13, 2023 10:15 AM IST

By Shweta Bajpai | Edited by Shweta Bajpai

Bahuchar Mata Temple: जानिए किन्नरों की कुलदेवी के मंदिर की क्या है मान्यता, जहां आज Amit Shah दर्शन करने जाएंगे

इन दिनों केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah गुजरात के दो दिवसीय दौरे पर हैं. आज दौरे के दूसरे दिन वो कई विकास कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगे. इसके साथ ही वो बहुचरा माता मंदिर के दर्शन करेंगे. बहुचरा माता का ये प्रसिद्ध मंदिर गुजरात के मेहसाणा जिले के बेचराजी नामक कस्बे में स्थित है. Bahuchar Mata को बेचराजी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यताओं के अनुसार बहुचरा माता किन्नरों की कुल देवी हैं.

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कैसे पड़ा बहुचरा नाम-

Bahuchar माता का मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है. यहां माता के दर्शन के लिए लोग दूर दूर से आते हैं. माता को लोग ‘मुर्गे वाली देवी’ के नाम से भी जानते हैं. मान्यताओं की मानें तो कई राक्षसों का एकसाथ संहार करने के चलते माता को बहुचरा कहा जाता है. वहीं ‘मुर्गे वाली देवी’ के नाम के पीछे अलग कहानी बताई जाती है. स्थानीय लोग इस कहानी को अलाउद्दीन खिलजी के ज़माने से जोड़कर बताते हैं. कहा जाता है कि जब अलाउद्दीन जब पाटण जीतकर यहां पहुंचा तो उसके मन में मंदिर लूटने की इच्छा होने लगी.

ऐसे में जैसे ही वो अपने सैनिकों के साथ मंदिर पर चढ़ाई करने लगा उसे प्रांगण में बहुत से मुर्गे दिखाई देने लगे. उसके सैनिकों को भूख लगने पर उन्होंने सारे मुर्गे पकाकर खा लिए और सिर्फ अक ही मुर्गा बचा. जब सुबह उस मुर्गे ने बांग देनी शुरू की तो उसके साथ-साथ सैनिकों के पेट से भी बांग की आवाजे आने लगीं और देखते ही देखते सैनिक मरने लगे. बताते हैं कि ये सब देख कर खिलजी और बाकी सैनिक वहां से भाग निकले. इस तरह से मंदिर सुरक्षित रह गया. तब से ही इसे मुर्गे वाली माता का मंदिर कहा जाने लगा.

किन्नरों की देवी-

बहुचरा देवी को किन्नर समाज की कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है. किन्नर समाज के लोग बुहचरा माता को अर्धनारीश्वर के रूप में पूजते हैं. किन्नरों द्वारा मां को पूजने की भी एक कहानी है. ऐसा माना जाता हैं कि गुजरात में एक राजा ता, जिसके कोई संतान नहीं थी.लसंतान पाने के लिए राजा ने देवी बहुचरा से वरदान मांगा. राजा की भक्ति से मां खुश हुईं और उन्होंने राजा को संतान प्रप्ति का वरदान दिया. कुछ समय बाद राजा को संतान तो हुई, लेकिन वो नपुंसक निकली. एक दिन Bahuchar माता उसके सपने में आईं और उसे गुप्‍तांग समर्पित करने के साथ मुक्ति के मार्ग पर चलने को कहा. राजकुमार ने ऐसा ही किया और देवी का उपासक बन गया. इसके बाद से सभी किन्नर समाज ने देवी बहुचरा को अपनी कुलदेवी मानकर उनकी उपासना शुरू कर दी.

अगले जन्म में पूरे शरीर के साथ मिलता है जन्म-

जैसा कि हमनें आपको ऊपर बताया कि Bahuchar माता को किन्नरो की देवी कहा जाता है. मान्यता है कि अगर कोई किन्नर बहुचर माता की पूजा करता है तो वह अगले जन्म में पूरे शरीर के साथ जन्म लेता है. किन्नरों के लिए इस मंदिर का विषेश महत्व है वो कोई भी शुभ काम मुर्गे वाली माता की पूजा-अर्चना के बगैर नहीं करते हैं. यही वजह है कि अपने हर अनुष्ठान से पहले वे बहुचरा माता की पूजा ज़रूर करते हैं.

शक्तिपीठ का हिस्सा-

Bahuchar माता को शक्तिपीठ का हिस्सा भी माना जाता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब माता सती ने यज्ञ में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए थे तब भगवान शिव बहुत क्रोधित हुए थे और उन्होंने उनके पार्थिव शरीर को उठाकर पूरे विश्व में तांडव किया था. शिव के क्रोध और सती की तपस्या को देख सभी देवी-देवता घबरा गए थे, जिसके चलते सभी ने भगवान विष्णु से मदद मांगी और भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए थे. ये टुकड़े पृथ्वी पर 55 जगहों पर गिरे थे, जिनमें से एक बहुचरा भी है. इसीलिए इन्हें शक्तिपीठ का हिस्सा भी कहा जाता है.

संतान प्राप्ति की देवी-

कहा जाता है कि जिन जोड़ों को संतान नहीं होती है वो यहां जाकर पूजा पाठ कर संतान प्राप्ति की कामना करते हैं. कुछ समय बाद उन्हें संतान प्राप्ति हो जाती है.

कैसे पहुंचें मंदिर-

मान्यता है कि ये मंदिर 1783 में बनाया गया था. यह मंदिर अहमदाबाद से करीब 110 किमी की दूरी पर है. अहमदाबाद से गांधीनगर होते हुए बेचराजी पहुंच जा सकता है. मेहसाणा से यह धाम 38 किमी दूर स्थित है.

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